Sunday, January 16, 2022

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर इंडस्ट्री को सरकार से बजट 2022 में मजबूत नीतियों की उम्मीद, लोगों को होगा फायदा January 16, 2022 at 04:57AM

नई दिल्ली।दोपहिया वाहनों के बिना किसी भी भारतीय शहर की कल्पना करना असंभव है। देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मुख्य रूप से दोपहिया वाहनों पर ही चलता है और अपने रोजमर्रा के कामों के लिए काफी हद तक उनपर निर्भर है। भारत में 25 फीसदी से ज्यादा लोग साइकिल या दोपहिया वाहनों को काम करने के लिए ऑफिस या रोजगार की जगहों पर आने जाने के लिए उपयोग में लाते हैं। इसका प्रमुख कारण हैं कि ये दोपहिया देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए परिवहन का एक किफायती और विश्वसनीय साधन हैं। साथ ही सभी घरों में से लगभग एक तिहाई के पास कम से कम एक दोपहिया मौजूद है। ये भी पढ़ें- यह व्यापक रूप से माना जाता है कि लगभग 75 मिलियन दोपहिया वाहन वास्तव में भारतीय सड़कों पर चल रहे हैं, जिनमें टियर 1, 2 और 3 शहर शामिल हैं। इसके अलावा हर साल, भारतीय सड़कों पर 17-18 मिलियन नए दोपहिया वाहन भी आ रहे हैं। लेकिन सच तो यह है कि दुपहिया वाहन बहुत प्रदूषित फैलाते हैं। यह कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात हो सकती है, लेकिन दोपहिया वाहन कार के समान ही सीओ 2 उत्सर्जन करते हैं, इसलिए उत्सर्जन में कमी का अधिकांश भार उन सवारों के कंधों पर ही आता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का उपयोग बढ़ाना समय की मांग है। इन सभी तथ्यों को देखते हुए देशभर में आम लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना बेहद जरूरी हो गया है। बीते कुछ समय से भारत सरकार लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयासरत है। सरकार ने अपने इलेक्ट्रिक वीइकल सब्सिडी कार्यक्रम एफएएमई (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वीइकल) को भी घोषित किया है, जिसके तहत भारतीय सड़कों पर इलेक्ट्रिक-स्कूटर्स की मौजूदगी बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। हालांकि, देश में अभी भी इलेक्ट्रिक दोपहिया और अन्य वाहनों को उस गति से अपनाया नहीं जा रहा है और इसका प्रमुख कारण इन वाहनों पर आने वाले कुछ ज्यादा लागत और देश में इन वाहनों के लिए चार्जिंग के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। इस वजह से लोग अब भी ईवी को अपनी पहली पसंद नहीं बना रहे हैं। ये भी पढ़ें- ई-बाइक की उपयोगिताई-बाइक के उपयोग और रखरखाव में आसानी, कम अपफ्रंट लागत, हाई एनर्जी कुशलता और पोर्टेबल डिजाइन के साथ ही ई-बाइक को तेजी से इंट्रा-सिटी मोबिलिटी के लिए सबसे उपयोगी और व्यवहारिक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। उदाहरण के तौर पर डिलीवरी कर्मियों ने पारंपरिक स्कूटर और मोटरसाइकिल के विपरीत ई-बाइक का उपयोग करते समय डिलीवरी की पूर्ति में प्रभावी वृद्धि देखी है। इससे ईंधन पर उनकी संचालत लागत भी काफी हद तक कम हो जाती है और उनकी बचत बढ़ती है। इसके साथ ही बड़े दोपहिया वाहनों का उपयोग करने वाले एक बड़े समूह के लिए ई-बाइक एक बहुत ही पर्यावरण के अनुकूल विकल्प बन गई है। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के विपरीत इलेक्ट्रिक साइकिल सरकार को बढ़ावा देने के लिए सही परिवहन माध्यम है, क्योंकि यह न केवल ग्रीन एनर्जी के विकल्प अपनाने में मदद करता है, बल्कि साथ ही लोगों को उनकी जीवन शैली में ज्यादा सक्रिय होने में मदद करता है और इससे हेल्थकेयर सिस्टम्स पर उनकी निर्भरता कम हो जाती है। इसके साथ ही कोविड-19 और इसकी आ रही कई लहरों के साथ, उपभोक्ताओं ने स्वास्थ्य के अत्यधिक महत्व को महसूस किया है और आने-जाने के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय वाहन को अपनाने के लिए चुना है। ऐसे में ई-मोबिलिटी के दृष्टिकोण से भारत सरकार को इस उद्योग में नई उम्मीदों को पैदा करने और उद्योग और उपभोक्ताओं को कई गुना बढ़ने में मदद करने के लिए बहुत आवश्यक बदलाव लाने की जरूरत है। ये भी पढ़ें- सरकार से इस बजट में उम्मीदेंइलेक्ट्रिक साइकिल इंडस्ट्री को एफएएमई 2 सब्सिडी प्रोग्राम में शामिल करने के लिए बहुत कुछ कहा जा रहा है। सरकार को उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन देने पर विचार करना चाहिए। यह एक तरह से पूरी ई-साइकिल इंडस्ट्री को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करेगा, जिसका आंकड़ा आजकल करीब 40,000 यूनिट वार्षिक ही है। सही प्रोत्साहन के साथ, इनकी बिक्री आने वाले वर्षों में प्रति वर्ष एक मिलियन यूनिट से अधिक हो सकता है। साथ ही सरकार को अधिक अलग और डेडिकेटेड साइकिल लेन बनाने और उनकी रेगुलेटिंग करने की योजनाओं पर विचार करना चाहिए। आज बहुत कम डेडीकेटेड लेन्स हैं और उनपर भी अक्सर सामान्य दोपहिया वाहनों का ही कब्जा होता है। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए समर्पित लेन को दंड के साथ रेगुलेटेड किया जाना चाहिए। इसके अलावा, सरकार को उन उपभोक्ताओं को आयकर लाभ प्रदान करना चाहिए, जो फिटनेस और ग्रीन पहलुओं पर विचार करते हुए ई-साइकिल चुनते हैं। आखिर में कहा जा सकता है कि ये सभी जानते हैं कि भारतीय शहरों में दोपहिया वाहनों के प्रदूषण के स्तर के साथ हालात क्या हो चुके हैं और इसे देश भर में एक क्लीन और ग्रीन शहरों और एक बेहतर भविष्य के लिए सही फैसला लेने का सही समय आ गया है। इस समय ई-बाइक का उपयोग अधिक से अधिक बढ़ाने की जरूरत है। और नए साल के साथ अब इनका समय आ गया है। आलेख- अंकित कुमार, सीईओ, गोजीरो मोबिलिटी ये भी पढ़ें-

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