नई दिल्ली। (Prime Minister Narendra Modi) ने गुजरात में निवेशक शिखर सम्मेलन में ऑटोमोटिव स्क्रैपेज नीति (Automotive Scrappage Policy) का वर्चुअली शुभारंभ किया। दरअसल, पर कुछ समय से काम चल रहा है, और अब इसे सरकार से हरी झंडी मिल गई है। पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि इस नीति से करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात में अलंग वाहन स्क्रैपिंग का हब बन सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी () ने इसे लेकर एक साथ कई ट्वीट भी किए। उन्होंने कहा, "आज वाहन परिमार्जन नीति का शुभारंभ भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। गुजरात में वाहन स्क्रैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए निवेशक शिखर सम्मेलन संभावनाओं की एक नई श्रृंखला खोलता है। मैं अपने युवाओं और स्टार्ट-अप्स से इस कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध करता हूं।" पीएम ने दूसरे ट्वीट में कहा, "वाहन स्क्रैपिंग पर्यावरण के अनुकूल तरीके से अनुपयुक्त और प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में मदद करेगा। हमारा उद्देश्य एक व्यवहार्य #circulareconomy बनाना और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार होते हुए सभी हितधारकों के लिए मूल्य लाना है। वाहन कबाड़ नीति से क्या होंगे फायदे? पीएम मोदी ने कहा कि स्क्रैपिंग सामग्री का मौजूदा तरीका उत्पादक नहीं है। वहीं, आम आदमी के लिए स्क्रैपेज नीति के फायदों को गिनाते हुए उन्होंने कहा,
- पुरानी कार को स्क्रैप करने पर वाहन मालिक को एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
- इससे वाहन मालिक को नई कार खरीदते समय पंजीकरण शुल्क नहीं देना पड़ेगा।
- वाहन मालिक को रोड टैक्स में भी छूट मिलेगी।
- पुरानी कार के रखरखाव लागत, मरम्मत लागत और ईंधन दक्षता पर पैसे की बचत होगी।
- पुराने वाहनों और पुरानी तकनीक के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाएं कम होंगी।
- प्रदूषण को कम करेगा।
- एक वाहन को सिर्फ इसलिए रद्द नहीं किया जाएगा क्योंकि वह पुराना है।
- वाहनों का स्क्रैपेज सेंटरों पर फिटनेस टेस्ट किया जाएगा।
- फिटनेस टेस्ट के बाद वैज्ञानिक तरीकों से ही इसे खत्म किया जाएगा।
- स्क्रैपेज नीति से कच्चे माल की लागत में लगभग 40 फीसदी की कटौती होने की संभावना है।
- देश में लगभग 22,000 करोड़ मूल्य के स्क्रैप स्टील का आयात किया जाता है। इस नीति से इसकी निर्भरता कम होगी।
- भारत को ऑटोमोटिव मैन्युफेक्चरिंग का औद्योगिक केंद्र बनने में मदद मिलेगी।
- सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का इस्तेमाल करते हुए सभी जिलों में परीक्षण केंद्र बनाएगी।