नई दिल्ली। लोकसभा में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को व्हीकल स्क्रैपेज (वाहन परिमार्जन) पॉलिसी की घोषणा की। सरकार के इस फैसले को कई मायनों में ऐतिहासिक माना जा रहा है। सरकार के मुताबिक नई स्क्रैपिंग नीति के तहत भारतीय ऑटो सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा और इससे देश में नए रोजगार पैदा होंगे। वहीं, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों पर से हटाने में मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री गडकरी के मुताबिक पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार लोगों को रोड टैक्स में छूट के साथ डिस्काउंट और दूसरी व्यवस्थाएं भी देगी। इस नीति के तहत वाहन की रजिस्ट्रेशन की सीमा समाप्त होते ही उनका फिटनेस टेस्ट करना अनिवार्य होगा। एक पैसेंजर (यात्री) वाहन का लाइफटाइम (समय सीमा) 20 साल तक सीमित है। जबकि, एक कॉमर्शियल वाहना की समय सीमा 15 साल होगी। वहीं, अगर कोई भी वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाता है, तो इसे "एंड-ऑफ-लाइफ" माना जाएगा। इसके लिए पूरे देश में ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर बनाए जाएंगे। वहीं, वाहन मालिक को 4-6 प्रतिशत का स्क्रैप मूल्य दिया जाएगा। जबकि, नया वाहन खरीदने पर रोड टैक्स में 25 फीसदी तक की छूट दी जाएगी। नई स्क्रैप नीति पर बाजार की दिग्गज कंपनियों का क्या कहना है, डालते हैं इस पर एक नजर.... Tata Motors (टाटा मोटर्स) “प्रस्तावित स्कैपेज नीति भारत में सुरक्षित और स्वच्छ वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक स्वागत योग्य और सही दिशा में उठाया कदम है। इस पॉलिसी में अनिवार्य फिटनेस प्रमाण पत्र, 15 साल के बाद कॉमर्शियल वाहनों और 20 साल के बाद निजी वाहन को फिर से रजिस्ट्रेशन करने से रोकना, सिस्टम से पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। मोटे तौर पर, यह स्क्रैप और कच्चे तेल के लिए कम आयात बिल, एमएसएमई के लिए नौकरी के अवसरों, ओईएम के लिए नए वाहन की बिक्री में संभावनों को बढ़ाना, वाहन मालिकों के लिए कम परिचालन लागत, उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित और स्वच्छ वाहन और स्थायी के लिए सभी हितधारकों को संबोधित करता है। हम आशावादी हैं और यह देखने के लिए तत्पर हैं कि इस नीति के विभिन्न प्रावधान उपभोक्ताओं को कैसे स्वेच्छा से आगे आने और अपने पुराने और अनफिट वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।" (डायमलर इंडिया कॉमर्शियल व्हीकल) DICV के मैनेजिंग डायरेक्टर एंड सीईओ, सत्यकाम आर्य ने कहा, "DICV ने लंबे समय से एक अच्छी तरह से डिजाइन, प्रोत्साहित 'एंड ऑफ लाइफ' नीति की वकालत की है, जो मांग को बढ़ाती है, सुरक्षा में सुधार करती है और कॉमर्शियल वाहनों के मालिकों को नए वाहन के लिए पुराने वाहनों को एक्सचेंज करने के लिए प्रोत्साहित करती है। नए एमिशन नॉर्म्स को पूरा करने के लिए यह नीति वाहन मालिकों को प्रोत्साहित करती है, जिससे पर्यावरण को मदद मिलती है। केवल सरकार, उद्योग और ग्राहक के संयुक्त प्रयास के परिणामस्वरूप एक सटीक नीति बन सकती है जो सच्ची सुरक्षा, आर्थिक और पर्यावरण को फायदा दे सकती है।" Renault India (रेनो इंडिया) रेनॉल्ट इंडिया ऑपरेशंस के कंट्री सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर वेंकटरम ममिलापल्ले ने कहा, “यह वास्तव में भारतीय मोटर वाहन क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पल है और वैश्विक संदर्भ में भारत के लिए नए बेंचमार्क स्थापित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। हम उद्योग में एक बड़ी सफलता की कगार पर हैं, सबसे पहले हमने इस क्षेत्र की तरफ से अपनाए जा रहे उत्सर्जन मानकों (एमिशन नॉर्म्स) को देखा और अब यह एक कदम है जो कई मोर्चों पर गतिमान है, इसके अलावा ओईएम के लिए एक बड़ा व्यापार अवसर पेश कर रहा है, इस फैसले का सामाजिक प्रभाव क्रांतिकारी होगा, इससे रोजगार मिलेंगे, प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी और सड़क सुरक्षा चुस्त होगी। यह घोषणा भारतीय मोटर वाहन उद्योग को अंतरराष्ट्रीय मानक के साथ मेल खाने के लिए लाएगी, इसके अलावा ऑटो, स्टील और इलेक्ट्रानिक्स उद्योग के लिए बहुत जरूरी मरम्मत की पेशकश करेगी, जो महामारी के हमले के बाद पुनर्जीवन की आवश्यकता थी। यह नीति पूरे ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए एक स्वागत योग्य कदम है, जो आज दुनिया में चौथा सबसे बड़ा है, यह कदम भारतीय सड़कों पर बेहतर प्रौद्योगिकी को अपनाना सुनिश्चित करेगा, जिससे देश के लिए कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आएगी।"
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