Union Budget 2022: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के सामने ऑटो इंडस्ट्री से जुड़ी ये हैं 5 बड़ी चुनौतियां
नई दिल्ली।
Union Budget 2022: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) मंगलवार को संसद में केंद्रीय बजट पेश करेंगी। कोरोना काल के दौरान पेश होने वाला यह बजट कई मायनों में काफी अहम है, जहां हर सेक्टर की काफी उम्मीदें है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई वाली मोदी 2.0 के लिए यह बजट काफी चुनौती भरा है। इस दौरान ऑटो इंडस्ट्री की निगाहें भी इस बजट पर टिकी हुई हैं। दरअसल, कोरोना काल में जिन सेक्टर्स को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है उनमें ऑटो सेक्टर भी शामिल है। बता दें कि देश की अर्थव्यवस्था पर ऑटो सेक्टर का बड़ा असर है। यह सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है। ऐसे में आज हम आपको वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और मोदी सरकार की उन 5 बड़ी चुनौतियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका सामना उन्हें इस बजट में करना है।
क्या वाहनों पर घटेगी GST की दर
वाहनों पर 28 से 60 फीसदी तक का जीएसटी टैक्स लगाया जाता है। यह टैक्स अलग-अलग वाहनों की कैटेगरी पर अलग-अलग होता है। ऐसे में वाहन कंपनियों की तरफ से पिछले काफी समय से मांग की जा रही है कि सरकार वाहनों पर जीएसटी की दर को घटाए। हालांकि, यह मांग पिछले तीन सालों से की जा रही है, लेकिन सरकार की तरफ से टैक्स की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
कैसे बढ़ेंगे रोजगार के मौके?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पिछले साल अगस्त महीने में ऑटोमोटिव स्क्रैपेज नीति (Automotive Scrappage Policy) को लॉन्च किया था। सरकार के इस फैसले का बाजार ने खूब स्वागत किया। पीएम मोदी (PM Modi) ने इसे लॉन्च करते समय कहा था कि इस नीति से करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और हजारों नौजवानों को रोजगार मिलेगा। दरअसल, कोरोना काल के दौरान ऑटो सेक्टर को भारी नुकसान हुआ। ऐसे में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए बाजार की निगाहें इस बजट पर टिकी हुई हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को कैसे मिलेगा बढ़ावा?
साल 2019 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ऐलान के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST की दर 12 फीसदी से घट कर 5 फीसदी हो गई थी। इलेक्ट्रिक वाहनों पर 7 फीसदी GST घटने से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई। ऐसे में ईवी निर्माताओं की तरफ से फिर से जीएसटी की दरों को घटाने की मांग की जा रही है। इसके अलावा कंपनियां बैटरी की कीमतों पर टैक्स को घटाने की भी मांग कर रही हैं।
चीन से कैसे बनेंगे आत्मनिर्भर?
भारतीय ऑटो सेक्टर ने चीन से साल 2018-19 में 4.75 अरब डॉलर के ऑटो पार्ट का आयात किया। जबकि, वाहनों को बनाने के लिए चीन से 60 फीसदी रॉ-मैटेरियल का आयात किया गया। जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय ऑटो सेक्टर में चीनी ऑटो पार्ट्स की 27 फीसदी हिस्सेदारी है। यही कारण है कि जब कोरोना के दौरान चीन से आयात बंद हो गया तब ऑटो इंडस्ट्री को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। दरअसल इस दौरान सप्लाई चैन रुक गई, जिससे भारतीय ऑटो सेक्टर में कलपुर्जों की कमी पड़ गई। चीन पर निर्भरता को ऐसे समझा जा सकता है कि भारत ने वाहनों को बनाने के लिए वित्तवर्ष 2018-19 में 17.6 अरब डॉलर के कलपुर्जो का आयात किया था, जिसमें चीन से से 25 फीसदी आयात किया गया था। दोबारा ऐसी नौबत न आए इसके लिए भारतीय कंपनियां दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को लगातार कम करने में लगी हैं। ऐसे में बाजार लगातार सरकार ने इस क्षेत्र में मदद की मांग करता आ रहा है। ऐसे में देखना है कि क्या ये मांग सरकार इस बजट में पूरा करेगी?
सरकार देगी कोई राहत
भारतीय ऑटो सेक्टर साल 2019 ने लगातार उतार चढ़ाव का सामना कर रहा है। ऐसे में बाजार की तरफ से लगातार आर्थिक मदद और टैक्स को घटाने की मांग की जा रही है। यह मांग कोरोना काल में और भी बढ़ गई है।