नई दिल्ली। पिछले दो सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों के मांग में तेजी दर्ज की गई है। केंद्र सरकार की तरफ से लगातार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं, इलेक्ट्रिक कंपनियां और राज्य सरकारें भी इस सेगमेंट को बढ़ाने के लिए नई रणनीतियां बना रही हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों के सेगमेंट में स्टार्टअप और नई कंपनियां कितनी तैयार हैं और भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर क्या चुनौतियां हैं इसे लेकर हमनें () के चेयरमैन () से कई सवाल किए। ये रहे उस इंटरव्यू के कुछ अंश... सवाल: भारत में जब पहली बार इलेक्ट्रिक वाहन आए, तो हर जगह केवल एक ही सवाल था कि क्या यह भारत में सफल होंगे। यह सवाल इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि भारत में हर राज्य अपने आप में एक देश है। यहां किसी भी नई तकनीक को अपनाने में समय लगता है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों के मुकाबले आप भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के सेगमेंट को कैसे देखते हैं? उदय नारंग: देखिए, मैं बहुत ही पॉजिटिव आदमी हूं। कोविड ने हमें सिखाया है कि अब हमें अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों को देखना होगा। अगल हम ये सोचें कि आईसी (IC) इंजन चला कर हम काम निकाल लेगें, तो कोरोना की बात तो छोड़िए 99 फीसदी बच्चे और बूढ़े हजारों बीमारियों से प्रभावित हो जाएंगे, फिर इसका असर हमारे हेल्थ सिस्टम पर पड़ेगा, और हेल्थ सिस्टम का असर हमारे गवर्नमेंट पर पड़ेगा। बात यह है कि भारत में लोगो को यह बात कम समझ में आती है, क्योंकि भारत में लोग कॉस्ट सेंसिटिविटी बहुत ज्यादा हैं। उन्हे बचत से ज्यादा मतलब है। एक रेगूलर आईसी इंजन वाले वाहन में बहुत ज्यादा पार्ट्स होते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन में 2 मेन चीज होती है। पावर और बैटरी। किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन की करीब 50 कीमत बैटरी होती है। ऐसे में आने वाले अगले 2 से 3 सालों में बैटरी की कीमत तेजी से नीचे आएगी। इससे इलेक्ट्रिक वाहन काफी सस्ते हो जाएंगे। इससे ग्राहकों को काफी बचत होने वाली है। यह बिल्कुल वैसे ही होगा, जैसे मोबाइल फोन पहले बहुत महंगे थे, लेकिन जब खपत तेजी से बढ़ने लगी तो कीमत नीचे उतरने लगी। ऐसे ही आने वाले समय में बैटरी की कीमत भी बहुत तेजी से कम होने वाली है। तेल और डीजल की कीमतों के बढ़ने के बाद इलेक्ट्रिक वाहन बहुत ही कॉस्ट इफेक्टिव हो गए हैं, क्योंकि भारत में लोगों को पर्यावरण की परवाह कम है, जो की बहुत ज्यादा होनी चहिए। लेकिन हर आदमी यह सोचता है कि मेरी जेब में पैसे कैसे बचेंगे। ऐसे में आने वाले 2 से 4 सालों में आप देखेंगे कि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत बहुत कम हो जाएगी। सवाल: केंद्र सरकार लगातार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है। लेकिन, कई पक्ष हैं जो भारत में सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक किए जाने के खिलाफ हैं। इनका कहना है कि कमजोर तबके पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा, जो अभी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तैयार नहीं है। कई बार बढ़ते अफवाहों और विरोध के बीच सरकार को भी जवाब देना पड़ा है। ऐसे में छोटे शहरों और गांव के लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तैयार करना एक बड़ी चुनौती है। आप इस चुनौती को कैसे देखते हैं? उदय नारंग: बहुत ही अच्छा सवाल है। मैं आपको एक ब्रेकिंग न्यूज दूंगा, लेकिन पूरी नहीं दूंगा, जो मैने अभी किसी को नही दिया है। मैं बहुत ही आउटस्पोकेन आदमी हूं। देखिए, जिन्होंने आईसी (IC) इंजन में अरबों डॉलर लगा रखे हैं, वो इतनी जल्दी नई चीज को नहीं अपनाएंगे। जिन भी बड़ी कंपनियों ने आईसी इंजन में यहां अच्छा पैसा बनाया है, अरबो रुपए लगा रखे हैं, उनका अपने कंपनीज के अंदर इतनी जल्दी बदलाव करना बहुत मुश्किल है। तो आप समझ ही गए होंगे। लेकिन, मैं सोचता हूं की अब इसको रोकना नामुमकिन है। एक कहावत है, 'समय के साथ बदलिए वर्ना समय आपको बदल देगा। मैं आपको बता रहा हूं यह समय आ गया है। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। Hero MotoCorp के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ पवन मुंजल, को जब फोन करेंगे तो वो एक चीज कहेंगे, "द फ्यूचर इज इलेक्ट्रिक"। वो इंग्लिश में कहेंगे कि रोम एक दिन में नही बना था। ऐसे में पूरे देश के पैटर्न को फुली इलैक्ट्रिक करना एक दिन में संभव नहीं है। हमारे में एक जोश है कि चेंज ला के ही छोड़ना है। चेंज लाने के लिए थोड़ा पेन लेना पड़ता है। अगर मैं भारत में ये समझाने की कोशिश करूंगा कि आप प्रदूषण न करिए, तो कोई नहीं सुनेगा। लेकिन, अगर मैं एक ग्राहक को बोलूं कि मैं आपके पैसे बचाने में मदद कर सकता हूं, तो वो सुनेगा। द चेंज इज हैपनिंग, द चेंज विल हैपेन। बहुत बदलाव आ रहा है। मेरा यह मानना है कि आने वाले 3 से 5 साल में, जब बैटरी की कीमत बहुत कम हो जाएगी, तो पेट्रोल-डीजल और सीनएजी की गाड़ियां कंपटीशन से बाहर हो जाएंगी। अब जो बड़े लोग हैं, वो थोड़ा तो इसका विरोध करेंगे, लेकिन मैं आपको ऐसे बहुत सारे ऐसे बिजनेस बता सकता हूं, जहां ऑटो बिजनेस में बदलाव आएगा। सवाल: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने पहले ही बड़ी कंपनियों से कह दिया है कि वह इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर ज्यादा इंतजार नहीं करेगी। ऐसे में अगर देर की गई, तो सरकार सारे स्टार्टअप्स को बुला कर उन्हें ऑफर देगी। मैं यह बात आपसे जानना चाहता हूं कि क्या भारत सरकार की तरफ से आपसे कुछ बात की गई है? क्या सरकार की तरफ से स्टार्टअप या नई कंपनियों को मौका दिया जा रहा है? नारंग: बहुत ही अच्छा सवाल पूछ रहे है। देखिए, सरकार का सपोर्ट तो जैसे आप देख रहे हैं कि सरकार की तरफ से पेन पॉलिसी है। यानी सभी को पूरी मदद दी जा रही है। वहीं, राज्यों के स्तर पर भी बहुत कुछ हो रहा है। सवाल: साल 2019 में ऑटो सेक्टर की तरफ से कई मांगें की गईं, लेकिन केंद्र सरकार ने केवल इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में ही मदद का हाथ बढ़ाया। सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी की दर को 12 फीसदी से घटा कर 5 फीसदी कर दिया। तो क्या अब सरकार ने यह मन बना लिया है कि चाहे कितना भी दबाव हो, इसे अब इलेक्ट्रिक वाहनों के सेगमेंट पर पूरा फोकस करना है? नारंग: देखिए, जो बड़े लोग हैं वो इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर हो रहे बदलावों को थोड़ा धीमा करना चाहते हैं। लेकिन, आपको मैं यह बताता हूं कि आज आप टेस्ला का स्टॉक देखिए, मार्केट इवेल्यूएशन देखिए। सारी दुनिया की टॉप 10 कंपी से ज्यादा है, जो फाइनेंशियल मार्केट से बताती है कि भविष्य क्या है। इलेक्ट्रिक ही भविष्य है। सरकार बहुत कुछ कर सकती है और करना भी चाहिए। मेरे ख्याल से सरकार का विजन बिल्कुल साफ है कि इलेक्ट्रिक ही आना है। सवाल: आप जिन बड़ी कंपनियों की तरफ इशारा कर रहे हैं वो भी तो इलेक्ट्रिक वाहनों के सेगमेंट में तेजी से स्विच कर सकती हैं। नारंग: ये जो इलेक्ट्रिक का काम है वह न्यू विजन, न्यू जेनरेशन, न्यू टेकोलॉजी पर आधारित है। इसमें यंग न्यू आइडियाज और क्रिएटिविटी चाहिए। तो हमारे जैसे लोग एक मॉडल २ साल बाद दिखाते हैं। हर ३ से 5 महीने में हम नया मॉडल देंगे ये माइंडसेट चेंज करने के लिए थोड़ा टाइम लगता है। हमारे लिए एडवांटेज यह है कि हम इलेक्ट्रिक कंपनी हैं। हमारे ऊपर IC इंजन का कोई भार नही है। हम वो चीज बना सकते हैं और कर सकते हैं, जो IC इंजन पर आधारित कंपनियां नहीं कर सकतीं। यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे कोई 5-स्टार वाला एक होटल बनाता है। इसके लिए वह 10 हजार करोड़ लगा देता है। उसको मॉडल चेंज करने के लिए टाइम लगता है, क्योंकि उसने भारी इन्वेस्टमेंट कर रखी है, लेकिन आजकल तकनीक और सिस्टम बहुत तेजी से बदल रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां नए उम्र और नई तकनीक की जरूरत है। अब यह समय ही बताएगा की जीत किसकी होगी। सवाल: आप बहुत बड़ी बात कह रहे हैं। क्या आप यह कह रहे हैं कि जो बड़े प्लेयर्स हैं वो ये नही चाहते कि बदलाव हो? नारंग: बड़े-बड़े लोग ये कोशिश कर रहे। लेकिन, उन्हे भी पता हैं कि अब उन्हें इलेक्ट्रिक में ही करना है। आप महिंद्रा की बात बात करिए, आप टाटा की बात करिए,आप पियाजो की बात करिए। आप कभी भी पवन मुंजाल जी से बात करिए। वे यही कहेंगे कि 'फ्यूचर ऑफ मोटरसाइकिल इज इलेक्ट्रिक'।