नई दिल्ली।Steelbirds Helmets In India: हेलमेट इंडस्ट्री के साथ-साथ भारत में टू-व्हीलर सेगमेंट का तेजी से हो रहा उदय अपने आप में डिवेलपमेंट की एक अलग ही कहानी है। शहरी और अर्ध-शहरी, दोनों तरह के बाजारों में खरीद क्षमता में वृद्धि और इसके अलावा दोपहिया वाहनों के ऑनरशिप की कम लागत इन सेगमेंट के विकास की प्रमुख वजहें रही हैं। टू-व्हीलर वाहनों को भी आय उत्पादक के तौर पर भी देखा जाता है। दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में भारत में मध्यम और निम्न वर्ग सेगमेंट शामिल हैं। ये भी पढ़ें- भारत में परिवहन अभी भी एक चुनौती है, इसलिए इन क्षेत्रों में बहुत से लोग दोपहिया वाहनों की ओर रुख करते हैं। इस इंडस्ट्री में मोटरबाइक, स्कूटर और मोपेड जैस वाहन शामिल हैं, जो सस्ती से लेकर उत्तम दर्जे की बाइक तक अलग-अलग रेंज में आते हैं। इसके साथ ही कोविड-19 और सोशल डिस्टेंस के न्यू नॉर्मल होने के साथ ही लोग वर्तमान माहौल में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की बजाय अपने निजी परिवहन के साधन के उपयोग के दौर में वापस चले गए हैं। इसलिए टू-व्हीलर वाहन के यातायात के सबसे सुविधाजनक तरीका होने के कारण हेलमेट की बिक्री और मांग में भी वृद्धि हुई है। ये भी पढ़ें- टियर 1, 2 और 3 शहरों में भारतीय सड़कों पर इतने सारे टू-व्हीलर वाहनों के चलने के साथ यह राइडर्स के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों और सावधानियों की ओर भी इशारा करता है। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में हर साल औसतन 5,00,000 मौतें होती हैं और इनमें 30 फीसदी से ज्यादा टू-व्हीलर राइडर्स शामिल होते हैं। इतनी खतरनाक संख्या में बढ़ते हुए सड़क हादसों को देखते हुए सड़क सुरक्षा के लिए हेलमेट बेहद जरूरी है। वे जीवन रक्षक उपकरण और टू-व्हीलर चलाने वालों के लिए एक बेहद जरूरी उत्पाद हैं, चाहे सवारी कर रहे हों या पीछे बैठे हों। ये भी पढ़ें- रोड सेफ्टी के लिए बेहद जरूरी साधन के रूप में हेलमेट की वजह से भारत में कई राज्य सरकारों में हेलमेट से जुड़े कानून बनाने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन सरकार को उनलोगों के बारे में भी सोचना चाहिए, जिन्हें सवारी करने और सुरक्षित रहने के लिए उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण हेलमेट की जरूरत है। जब तक हेलमेट को टैक्स फ्री नहीं किया जाता है, तब तक हेलमेट की कीमतें महंगी ही रहेंगी और गुणवत्ता वाले हेलमेट को अपनाने को बढ़ावा देने में मदद करने की सरकार की इच्छा और प्रयास बेकार हो जाएंगे। इसके अलावा एक मूल्य संवेदनशील देश में, जहां लोग हेलमेट को एक वित्तीय बोझ मानते हैं, 18 फीसदी की बजाय 12 फीसदी जीएसटी लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाले हेलमेट की ओर आकर्षित करने में मदद करेगा। चूंकि हेलमेट सीधे तौर पर सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए इस मामले को जल्द से जल्द महत्व दिया जाना बेहद जरूरी है। जीएसटी की अधिक दरों के कारण हेलमेट की कीमतें महंगी हुई हैं और इसके चलते इससे लोगों की खरीद क्षमता पर असर पड़ा है। यह न केवल हेलमेट इंडस्ट्री को डूबने से बचाने के बारे में है, बल्कि लोगों की जेब पर भार डाले बिना उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में भी है। इसके अलावा हेलमेट पर जीएसटी में कमी से गुणवत्ता वाले हेलमेट की बिक्री का ग्राफ नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। इससे असंगठित बाजार को खत्म करने में मदद मिलेगी, क्योंकि नकली हेलमेट का निर्माण पहले ही अपराध बना दिया गया है। इस समय इस संबंध में बनाए गए कानूनों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है। इसलिए देश में हेलमेट पर लागू जीएसटी दर को 18 फीसदी के बजाय 12 फीसदी पर लाया जाना चाहिए। आलेख- राजीव कपूर, प्रबंध निदेशक, स्टीलबर्ड हेल्मेट्स ये भी पढ़ें-
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